ग्रीन सब्सिडी
विश्व के सबसे प्रदूषित 15 शहरों में से 14 शहर भारत के हैं। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने आगामी 5 वर्षों की अवधि के लिए विद्युत वाहन को बढ़ावा देने हेतु 9,400 करोड़ की सब्सिडी देने का विचार बनाया है। पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों के बजाय इलेक्ट्रिक वाहन का विकल्प लेने वालों को 2.5 लाख तक की प्रोत्साहन राशि दी जा सकेगी।
- पिछले तीन वर्षों से सरकार, फेम (फास्टर एडॉप्शन एण्ड मेनूफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एण्ड इलैक्ट्रिक वेहिकल्स इन इंडिया) नामक सब्सिड़ी पैकेज चला रही है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन मिल सके। प्रस्तावित योजना फेम का ही विस्तार होगी।
- सरकार की योजना से इस बात का कोई अनुमान नहीं लग पाया है कि इससे पेट्रोल और डीजल की खपत में कितना फर्क पड़ेगा।
- नई सब्सिडी योजना का उद्देश्य वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करना है। ऐसा लगता है कि वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए लोगों को सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना सर्वोत्तम उपाय है।
- अधिकतर नगरों में सार्वजनिक वाहनों में डीजल का उपयोग होता है। ऐसे वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन के विकल्प के लिए सब्सिडी देना बेहतर होगा। इससे घरेलू इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा।
नागपुर और बेंगलुरू में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते प्रयोग ने यह सिद्ध कर दिया है कि मांग बढ़ने पर निर्माता इन वाहनों की कीमत कम करने पर बाध्य हो सकते हैं। सार्वजनिक इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ने के साथ ही इनके उपयोग के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे, जिसे निजी वाहन भी उपयोग में ला सकेंगे। अतः बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों को ग्राह्य बनाने के लिए उन्हें सार्वजनिक वाहनों के रूप में लाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने यह भविष्यवाणी की है कि आने वाले समय में परिवहन के क्षेत्र में विद्युत ऊर्जा की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। अतः भारत को चाहिए कि इस दिशा में कदम बढ़ाता जाए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के संपादकीय पर आधारित। 15 मई, 2018