15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन. के. सिंह और इसके सदस्यों तथा वरिष्ठ अधिकारियों ने आज सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
वित्त आयोग ने यह पाया:
राज्य में पर्यटन, जैविक खेती और बागवानी की काफी अच्छी संभावनाएं हैं। राज्य सरकार और ज्यादा शीत भंडारण (कोल्ड स्टोरेज) सुविधाओं एवं मूल्य श्रृंखलाओं (वैल्यू चेन) की स्थापना कर सकती है तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को विकसित कर सकती है।
सिक्किम भारत का पहला ऐसा राज्य था जिसे खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया।
सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय के मामले में सिक्किम ही दूसरे नंबर पर है और इसके साथ ही यहां अपेक्षाकृत कम बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) आबादी है।
वर्ष 2017-18 में भारत के 1,14,958 रुपये के औसत की तुलना में सिक्किम की प्रति व्यक्ति आय 2,97,765 रुपये (गोवा के बाद दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा) रही। अत: देश की प्रति व्यक्ति आय की तुलना में सिक्किम की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से भी अधिक है।
सिक्किम की बीपीएल आबादी केवल 8.19 प्रतिशत ही है, जबकि इस मामले में देश का औसत 21.9 प्रतिशत (तेंदुलकर पद्धति, 2011-12) है। वर्ष 2004-05 से लेकर वर्ष 2011-12 तक की अवधि के दौरान सिक्किम की बीपीएल आबादी में 23 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
जीएसडीपी में द्वितीयक क्षेत्र की ज्यादा हिस्सेदारी : पनबिजली यूनिटों में बिजली उत्पादन और फार्मास्यूटिकल उद्योगों के उत्पादन ने द्वितीयक क्षेत्र की सापेक्ष हिस्सेदारी बढ़ा दी, जो जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) में लगभग 59 प्रतिशत का योगदान करता है। सिक्किम में पनबिजली क्षेत्र की व्यापक संभावनाएं हैं। राज्य को मौजूदा पनबिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लानी चाहिए, ताकि इसकी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा सके और इसके साथ ही राजस्व आय में वृद्धि संभव हो सके।
मजबूत ऋण एवं घाटा संकेतक:
राज्य का राजकोषीय घाटा वर्ष 2018-19 (संशोधित अनुमान) को छोड़ हाल के वर्षों में 3 प्रतिशत के स्तर से नीचे निरंतर टिका रहा है। राज्य में राजस्व की स्थिति ज्यादातर समय अधिशेष (सरप्लस) के रूप में रही है। ऋण-जीएसडीपी अनुपात भी वर्ष 2016-17 में 23.2 प्रतिशत के सामान्य स्तर पर बरकरार रहा है जो सभी पूर्वोत्तर राज्यों तथा पहाड़ी राज्यों में दर्ज 28.6 प्रतिशत के औसत अनुपात से कम है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसमें मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। यही नहीं, सिक्किम के महालेखाकार ने राज्य सरकार की 3628 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय उधारियों (बजट से इतर) के बारे में जानकारी दी है।
वर्ष 2010-11 में लागू किए गए राज्य एफआरबीएम अधिनियम में निर्दिष्ट घाटा एवं ऋण संबंधी लक्ष्यों के साथ नियम आधारित राजकोषीय प्रबंधन का उल्लेख किया गया। राज्य सरकार 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राजस्व अधिशेष और ऋण स्टॉक से संबंधित शर्त को पूरा करते हुए वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने के लचीलेपन का समुचित उपयोग करने में सफल रही।
श्रम ब्यूरो के पांचवें रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, सिक्किम में 18.1 प्रतिशत की दूसरी सर्वाधिक बेरोजगारी दर (त्रिपुरा के बाद) है। प्रति व्यक्ति ज्यादा आय और जीएसडीपी में द्वितीयक क्षेत्र की अच्छी हिस्सेदारी दरअसल ऊंची बेरोजगारी दर का विरोधाभासी है, जो रोजगार विहीन विकास को दर्शाती है।
प्रति व्यक्ति आय के मामले में सिक्किम के देश भर में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद स्वयं के कर राजस्व के मामले में सिक्किम सभी राज्यों में तीसरे न्यूनतम पायदान पर है। स्वयं का कर राजस्व मामूली होने की वजह से सिक्किम केन्द्र सरकार की ओर से हस्तांतरित किए जाने वाले संसाधनों पर काफी हद तक निर्भर रहता है। सिक्किम को अपनी कुल राजस्व प्राप्तियों का 75 प्रतिशत केन्द्र सरकार से प्राप्त होता है।
स्वयं का गैर-कर राजस्व (एनटीआर) अब भी सिक्किम के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। स्वयं की राजस्व प्राप्तियों में इसका योगदान लगभग 40-50 प्रतिशत है। हालांकि, लॉटरी से प्राप्त होने वाले राजस्व के घट जाने के कारण पिछले कुछ वर्षों के दौरान एनटीआर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2011 से वर्ष 2018 के बीच इसकी वृद्धि दर (-) 10.9 प्रतिशत आंकी गई है। राज्य में पनबिजली और पर्यटन क्षेत्र के जरिए अपनी कमाई बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं हैं जिनसे भरपूर लाभ उठाया जाना चाहिए।
वित्त आयोग ने यह पाया :
राज्य में 15 पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) हैं जिनमें से 7 कार्यरत नहीं हैं। 31 अगस्त, 2019 तक 4 कार्यरत एसपीएसयू (राज्य सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम) के 11 खातों और 1 गैर-कार्यरत एसपीएसयू के एक खाते में बकाया दर्ज था। 9 एसपीएसयू का संचित घाटा वर्ष 2012-13 के 53.82 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 1,013.27 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। (एजी, सिक्किम)
सिक्किम में विद्युत आपूर्ति की जिम्मेदारी मुख्यत: ऊर्जा एवं विद्युत विभाग को सौंपी गई है। राज्य सरकार का विद्युत विभाग बिजली उत्पादन के साथ-साथ इसका पारेषण, वितरण एवं ट्रेडिंग भी करता है। राज्य सरकार ग्रामीण उपभोक्ताओं को बिजली पर भारी-भरकम सब्सिडी देती है। यही नहीं, 31 मार्च 2017 तक 15 प्रतिशत उपभोक्ताओं के यहां मीटर नहीं लगे हुए थे। सकल तकनीकी एवं वाणिज्यिक नुकसान लगभग 33 प्रतिशत आंका गया है और एसीएस-एआरआर अंतर 6.93 प्रतिशत दर्ज किया गया है जो अत्यंत अधिक है (विद्युत मंत्रालय)। राज्य सरकार को विद्युत विभाग के निगमीकरण एवं विभाजन के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए और ठोस आर्थिक सिद्धांतों पर संचालन करने की अनुमति इसे दी जानी चाहिए।
सिक्किम पूरी तरह से पहाड़ी एवं भौगोलिक रूप से नवोदित स्थल है, इसलिए इसकी संरचना बेहद नाजुक है। यह भूकंपीय क्षेत्र IV में भी आता है, अत: यहां भूकंप आने का खतरा बना रहता है। मई से शुरू होकर अक्टूबर के मध्य तक जारी रहने वाले मानसून के दौरान यहां आकस्मिक बाढ़ और भूस्खलन की आशंका रहती है। जलवायु परिवर्तन सिक्किम के हिमालयी क्षेत्र में संभावित खतरनाक हिमनदी झीलों से खतरा पैदा कर रहा है।
सिक्किम में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के निर्माण एवं रख-रखाव की लागत काफी ज्यादा है। इसके अलावा, भारी वर्षा होने के कारण यहां कामकाज का सीजन भी अपेक्षाकृत छोटा रहता है।
राज्य में जनसंख्या घनत्व अत्यंत कम रहने के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में आबादी काफी दूर-दूर तक फैली हुई है जिस वजह से विभिन्न सेवाएं मुहैया कराने में काफी परेशानी होती है।
राज्य सरकार की प्रस्तुतियों से ये बातें उभर कर सामने आई हैं-
15वें वित्त आयोग ने 24.32% की प्रवृत्ति (ट्रेंड) वृद्धि दर के आधार पर राज्य के जीएसडीपी का अनुमान लगाया है जो वास्तविक की तुलना में बहुत ज्यादा थीं। इस वजह से अनुबंध अवधि के लिए ओटीआर की उच्च गणना की गई। इस वजह से सिक्किम 15वें वित्त आयोग से राजस्व घाटा अनुदान पाने का पात्र नहीं बन पाया।
सिक्किम जैविक खेती को बढ़ावा देता है और वहां रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अत: यह उस व्यापक उर्वरक सब्सिडी मद में कुछ भी सब्सिडी प्राप्त करने का हकदार अब नहीं रह गया है जो अन्य राज्यों के किसानों को उपलब्ध है। जैविक खेती की उत्पादन लागत आम तौर पर ज्यादा होती है और किसानों की पैदावार तथा आमदनी में वृद्धि को बनाये रखने में समय लगता है।
राज्य ने सुझाव दिया है कि सिक्किम के किसानों की पर्यावरण अनुकूल पहलों को देखते हुए उन्हें मुआवजा दिया जा सकता है। राजस्व का त्याग किए जाने के कारण इसके तहत राज्य को उर्वरक सब्सिडी का पात्र माना जा सकता है।
सिक्किम सरकार ने सिफारिश की है कि करों के समग्र विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जानी चाहिए।
धन का अंतरण स्थानीय निकायों के सभी स्तरों के लिए किया जाना चाहिए।
आरएलबी के लिए धनराशि संबंधी आवश्यकता-
आरएलबी के दोनों स्तरों के लिए अनुमानित आवश्यकता पांच वर्षों के लिए 1,356.8211 करोड़ रुपये है।
मानव संसाधनों के साथ-साथ पंचायत घर के निर्माण के लिए 1100 करोड़ रुपये के अतिरिक्त एकबारगी अनुदान का अनुरोध किया गया।
यूएलबी के लिए धनराशि संबंधी आवश्यकता –
पांच वर्षों के लिए 134.1163 करोड़ रुपये की अनुमानित आवश्यकता।
बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, यूएलबी कार्यालय, टाउन हॉल और प्रशिक्षण संस्थानों के लिए 660 करोड़ रुपये के अतिरिक्त एकबारगी अनुदान का अनुरोध किया गया।
राज्य ने आपदा प्रबंधन के लिए भी अलग से अनुदान देने को कहा है
इसके अलावा, राज्य ने ‘पीस बोनस’ और सिक्किम के वन द्वारा अलग किए जाने वाले कार्बन की मात्रा के बराबर मूल्य देने का आह्वान किया है। राज्य ने पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन हेतु बड़ी परियोजनाओं के लिए राज्य विशिष्ट मांग भी की है। सिक्किम में संसाधनों में अंतर को पाटने के लिए 26843 करोड़ रुपये के राज्य विशिष्ट अनुदान की मांग की है।
कुल मिलाकर राज्य ने 15वें वित्त आयोग के समक्ष 71623.97 करोड़ रुपये की मांग रखी है।
उपर्युक्त बैठक के दौरान अध्यक्ष और सदस्यों द्वारा पूछे गए राज्य से जुड़े सभी विशिष्ट प्रश्नों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। सिक्किम को आश्वासन दिया गया कि वित्त आयोग द्वारा केन्द्र सरकार के समक्ष पेश की जाने वाली अपनी सिफारिशों में राज्य के सभी मुद्दों पर आयोग द्वारा समुचित ध्यान दिया जाएगा।
आयोग ने अपने दौरे के पहले दिन राज्य के सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत बैठक की। भारतीय जनता पार्टी, सिक्किम प्रदेश कांग्रेस समिति, सिक्किम लोकतांत्रिक मोर्चा और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा भी इन राजनीतिक दलों में शामिल थे। इन दलों द्वारा उठाये गए सभी मुद्दों को आयोग ने नोट किया, ताकि अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देते वक्त इन मुद्दों को सुलझाया जा सके।
***