प्रश्न – 1 : सामान्य अध्ययन की तैयारी कब शुरू कर देनी चाहिये? शुरुआत में कौन-सी पुस्तकें पढ़नी चाहियें?
उत्तर: नए पाठ्यक्रम की प्रकृति ऐसी है कि स्नातक स्तर के दौरान ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिये, हालाँकि अगर किसी ने उस समय तैयारी नहीं की है तो भी घबराने की आवश्यकता नहीं है। आरंभिक स्तर पर एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ना उपयुक्त है। शुरुआत इतिहास की 11वीं और 12वीं की पुस्तकों से की जा सकती है। अगर इन पुस्तकों में दिक्कत हो तो पहले 9वीं और 10वीं की पुस्तकें पढ़ने में कोई बुराई नहीं है। इसके बाद भूगोल के लिये कक्षा 6 से 12 तक की पुस्तकें पढ़ लेना ठीक होगा। इनके साथ-साथ ‘एटलस’ का निरंतर अभ्यास करना न भूलें। इसके बाद सामाजिक विज्ञान की 9वीं से 12वीं कक्षा की पुस्तकें देख लें (जैसे- ‘हमारा संविधान’, ‘भारत में लोकतंत्र’, ‘समकालीन विश्व राजनीति’ इत्यादि)। इसके बाद कक्षा 6 से 10 तक की विज्ञान की पुस्तकें पढ़ लें। इतना पढ़ने के बाद उन पुस्तकों का अध्ययन शुरू कर सकते हैं जो सीधे तौर पर सिविल सेवाओं के लिये लिखी गई हैं।
प्रश्न – 2 : क्या सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम की तैयारी अपने आप की जा सकती है? अगर हाँ तो कैसे?
उत्तर: जी हाँ, यह मुश्किल तो है पर असंभव नहीं। अगर आप विभिन्न खंडों में निहित अवधारणाएँ अपने आप समझ सकते हैं, समसामयिक तथ्यों को उनसे जोड़ सकते हैं, अंग्रेज़ी में उपलब्ध सामग्री को समझकर हिंदी में प्रस्तुत कर सकते हैं और इंटरनेट से उपयुक्त सामग्री खोज सकते हैं तो डेढ़ से दो वर्ष की अवधि में आप सामान्य अध्ययन की तैयारी अपने स्तर पर कर सकते हैं।
प्रश्न – 3 : प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन के लिये कौन-सी पुस्तकें पढ़नी चाहियें?
उत्तर: अगर आप ‘दृष्टि’ के सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा) कार्यक्रम में शामिल हैं या होने वाले हैं तो संभवतः आपको एक भी पुस्तक की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। हम कोशिश करते हैं कि अपने विद्यार्थियों को इतनी पाठ्य-सामग्री दे दें कि उन्हें पुस्तकों पर निर्भर न रहना पड़े। कभी-कभी किसी विशेष टॉपिक के लिये ही हम विद्यार्थियों से अपेक्षा करते हैं कि वे कोई पुस्तक पढ़कर आएँ। अगर आप दृष्टि के विद्यार्थी नहीं हैं तो निम्नलिखित पुस्तकों से अध्ययन करना उपयुक्त होगा। सबसे पहले एनसीईआरटी की वे पुस्तकें पढ़ना ठीक होगा जिनकी चर्चा ऊपर की गई है। उसके बाद विभिन्न खंडों के लिये एक-एक संदर्भ पुस्तक को देखना प्रायः पर्याप्त होगा। कुछ खंडों के लिये अभी कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं है, उनके लिये अखबारों के लेख और इंटरनेट की सामग्री को ही आधार बनाना पड़ता है। एक-दो खंड ऐसे भी हैं जिनमें एक पुस्तक पर्याप्त नहीं होती, उनमें कुछ विशेष टॉपिक्स के लिये कुछ अन्य पुस्तकों को भी देखना पड़ता है। वस्तुतः इस संबंध में आप दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित विभिन्न पुस्तकों (पर्यावरण के लिये ‘दृष्टि प्रकाशन’ की ‘पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी’, भारतीय संस्कृति के लिये ‘कला एवं संस्कृति’ अर्थव्यवस्था के लिये ‘आर्थिक परिदृश्य’ निबंध के लिये ‘निबंध-दृष्टि’ तथा ‘भारत’ इत्यादि) एवं समसामयिक खंड हेतु ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ मैगज़ीन का क्रमबद्ध अध्ययन करें। इसके अतिरिक्त आप दृष्टि संस्थान द्वारा संचालित डीएलपी कार्यक्रम का भी लाभ उठा सकते है।इस कार्यक्रम के अंतर्गत आपको संस्थान द्वारा संचालित सभी विषय संबंधी पाठ्य सामग्री घर बैठे उपलब्ध कराई जाती है। विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार इनका लाभ उठा सकते हैं। इन पुस्तकों के अलावा भूगोल के लिये ‘ऑक्सफोर्ड तथा ओरिएंट लांगमैन एटलस’; अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के लिये ‘वर्ल्ड फोकस’, ‘फ्रंटलाइन’ तथा ‘द हिंदू’; अर्थव्यवस्था के लिये ‘प्रतियोगिता दर्पण अतिरिक्तांक’; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिये ‘विवास पैनोरमा’ तथा ‘परीक्षा मंथन’; पर्यावरण तथा जैव-विविधता के खंड के लिये ‘इग्नू के नोट्स’ और सामाजिक न्याय तथा समसामयिक घटनाक्रम के खंडों के लिये ‘योजना’ और ‘कुरुक्षेत्र’ को देखते रहना चाहिये।
प्रश्न – 4 : सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिये कौन-से अखबार तथा पत्रिकाएँ पढ़ना बेहतर होगा?
उत्तर: सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की दृष्टि से हिंदी में ‘हिन्दुस्तान’ और ‘दैनिक जागरण-राष्ट्रीय संस्करण’ अच्छे अखबार हैं। चाहें तो ‘जनसत्ता’ भी पढ़ सकते हैं, पर सरकार विरोधी राय को अपने ऊपर हावी न होने दें, संतुलित राय बनाने की कोशिश करें। अगर आपकी अंग्रेज़ी अच्छी है तो ‘द हिंदू’ के लेख पढ़ना अच्छा होगा; पर अगर आप उन्हें न पढ़ पाते हों तो ज़्यादा तनाव न लें। पत्रिकाओं में आप ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ को पढ़ें। सिविल सेवा एवं विभिन्न राज्यों की पीसीएस परीक्षा (प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार) के सामान्य अध्ययन एवं निबंध प्रश्न-पत्र के समसामयिक पक्ष के लिये यह एक संपूर्ण पत्रिका है।
प्रश्न – 5 : सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिये इंटरनेट का फायदा कैसे लिया जा सकता है?
उत्तर: इसके लिये आप ‘दृष्टि: द विज़न’ की वेबसाइट www.drishtiias.com का प्रयोग करें। इसके अंतर्गत प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार के साथ-साथ विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के लिये उपयोगी अध्ययन सामग्री को अपडेट किया जाता है| इस वेबसाइट पर ‘द हिन्दू’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘एचटी मिंट’, ‘बिजनेस लाइन’, ‘बिजनेस स्टैण्डर्ड’, ‘डीएनए’, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ इत्यादि अंग्रेज़ी के अख़बारों के साथ-साथ भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की वेबसाइटों जैसे पीआईबी आदि का गहन अध्ययन कर न्यूज़ तथा लेख विश्लेषण अपडेट किये जाते हैं| साथ ही दैनिक स्तर पर समसामयिक मुद्दों पर प्रारंभिक परीक्षा के प्रारूप के अनुसार, प्रश्न भी दिए जाते हैं| इसके अतिरिक्त कक्षा 6-12 तक की एनसीआरटी पर आधारित प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नों के साथ-साथ अन्य प्रमाणित पुस्तकों पर आधारित प्रश्नों की भी एक शृंखला आरंभ की गई है| इसके अलावा मुख्य परीक्षा के प्रारूप पर एक विशेष कार्यक्रम आरंभ करने की रणनीति पर कार्य जारी है| सबसे महत्त्वपूर्ण बात बहुत जल्द www.drishtiias.com पर लोकसभा, राज्यसभा तथा आकाशवाणी द्वारा संचालित कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों के लिंक के साथ हिंदी में उनका सार भी प्रस्तुत किया जाएगा| वस्तुतः हमारा उद्देश्य वर्षों से हिंदी माध्यम से चली आ रही सटीक पाठ्यसामग्री की कमी को दूर करते हुए परीक्षा में चयन की दर को बढ़ावा देना है| ध्यान रखें कि इंटरनेट पर सटीक सामग्री ढूँढ़ना आसान नहीं होता। साथ ही, इंटरनेट का प्रयोग करते समय ध्यान भटकने की पर्याप्त आशंका होती है।
प्रश्न – 6 : सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिये प्रतिदिन कितने घंटे अध्ययन की आवश्यकता होती है?
उत्तर: ऐसी कोई समय सीमा निश्चित नहीं है जिसका निर्धारण इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिये किया जा सके। वास्तव में सफलता अध्ययन के घंटों से नहीं बल्कि इसकी कुशलता से निर्धारित होती है। यदि कोई अभ्यर्थी एक वर्ष तक रोज़ाना 6 घंटे ध्यानपूर्वक अध्ययन करता है तो इसे लक्ष्य प्राप्ति के लिये अच्छे प्रयास के तौर पर देखा जा सकता है।
प्रश्न – 7 : न्यूनतम कितने वर्ष की आयु में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी प्रारंभ कर देनी चाहिये ?
उत्तर: सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिये न्यूनतम आयु सीमा क्या हो, इसका सटीक निर्धारण नहीं किया जा सकता फिर भी यदि अभ्यर्थी 20 वर्ष की आयु में तैयारी प्रारंभ कर देता है तो उसकी स्थिति अच्छी रहेगी। यह ऐसा समय होता है जिसमें विद्यार्थी अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। यह और बात है कि जहाँ एक ओर बहुत ज़ल्दी तैयारी प्रारंभ करने से उपयुक्त समय आने पर आप थकावट का अनुभव करने लगते हैं वहीं तैयारी की शुरुआत देर से करने पर कुछ नुकसान भी हो सकता है।
प्रश्न – 8 : सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान सामूहिक चर्चा (group discussion) का क्या महत्त्व है?
उत्तर: सामूहिक चर्चा के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पक्ष हैं। अगर आप गंभीर और लक्ष्य के प्रति समर्पित अभ्यर्थियों के साथ सामूहिक चर्चा करते हैं तो यह लाभदायक सिद्ध होगा। ध्यान रखें कि तैयारी के आरंभिक चरणों में सामूहिक चर्चा से बचना चाहिये। इसके अतिरिक्त चर्चा के लिये समूह, संख्या में ज़्यादा बड़ा नही होना चाहिये। आप एक ऐसा समूह बना सकते हैं और किसी निर्धारित विषय पर चर्चा कर सकते हैं जिसका अध्ययन समूह के सभी सदस्यों ने किया हो। यह भी ध्यान रखें कि समूह विजातीय हो जैसे समूह में एक ही क्षेत्र के लोगों को शामिल न करें क्योंकि ऐसे मामलों में चर्चा के निष्कर्ष में क्षेत्र का भाव आ जाता है। सामूहिक चर्चा के दौरान यह औपचारिक होना चाहिये तथा ऐसी चर्चाओं के लिये एक निश्चित समयावधि को पहले से ही निर्धारित कर लेना चाहिये।
प्रश्न – 9 : क्या इस परीक्षा की तैयारी स्नातक के पश्चात् अथवा नौकरी के बिना ही प्रारंभ कर देनी चाहिये अथवा पहले एक नौकरी प्राप्त कर लेनी चाहिये उसके पश्चात् प्रारंभ करनी चाहिये?
उत्तर: सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है जिसके लिये सामान्यत: स्नातक के बाद एक से दो वर्ष की गंभीर तैयारी की आवश्यकता होती है। इसकी तैयारी किसी नौकरी अथवा व्यावसायिक कोर्स के साथ भी की जा सकती है।विगत वर्षों के परीक्षा परिणामों पर नज़र डालें तो इसमें हर प्रकार के (नौकरी और बिना नौकरी वाले) अभ्यर्थी सफल हुए हैं। इसलिये आप जिसमें स्वयं को सहज महसूस करते हों उसके अनुसार तैयारी आरंभ करनी चाहिये।
प्रश्न – 10 : कोचिंग संस्थान को चुनने का आधार क्या होना चाहिये ?
उत्तर: यद्यपि कोचिंग संस्थान कई प्रकार से अभ्यर्थियों की सहायता करते हैं फिर भी उचित संस्थान में प्रवेश न लेने से अभ्यर्थियों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिये कोचिंग संस्थान का चुनाव करते समय अभ्यर्थियों को उचित सावधानी बरतनी चाहिये। संस्थान की विगत वर्षों में सफलता की दरों का आंकलन करके, संस्थान के अध्यापक समूह, अध्ययन प्रणाली, सत्र की अवधि तथा क्रम, पाठ्य-सामग्री, संस्थान के उन विद्यार्थियों तक पहुँच जो इस संस्थान में अध्ययन कर चुके हैं आदि कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण आधार हैं जो एक उचित कोचिंग संस्थान का निर्धारण करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
प्रश्न – 11 : क्या मैं बिना कोचिंग के भी सिविल सेवा परीक्षा में सफल हो सकता हूँ?
उत्तर: जी हाँ, यदि आप स्वयं अच्छी प्रकार अध्ययन कर सकते हैं तो आप निश्चित ही इस परीक्षा में सफल हो सकते हैं। अगर आप स्वयं अच्छी प्रकार अध्ययन नहीं कर पा रहें हैं तो किसी कोचिंग संस्थान से मार्गदर्शन प्राप्त करने में कोई बुराई नहीं है। बहुत से ऐसे अच्छे संस्थान और शिक्षक हैं जो अभ्यर्थियों के समय व उनके प्रयासों के बचाव में उनकी सहायता करते हैं परन्तु सभी कोचिंग संस्थान अच्छी गुणवत्ता की सेवा उपलब्ध नहीं कराते हैं। अतः यदि आप किसी संस्थान में जाना चाहते हैं तो पूरी छान-बीन के पश्चात् ही जाएँ।
प्रश्न – 12 : प्रारंभिक परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का स्वरूप क्या है?
उत्तर: आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c और d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है। इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये ऋणात्मक अंक (Negative marking) का प्रावधान किया गया है, जिसमें प्रत्येक गलत उत्तर के लिये एक तिहाई (1/3) अंक काटे जाते हैं। द्वितीय प्रश्नपत्र (सीसैट) में ‘निर्णयन क्षमता’ से संबंधित प्रश्नों के गलत उत्तर के लिये अंक नहीं काटे जाते हैं बल्कि उत्तर की सटीकता के आधार पर अंक दिये जाते हैं।
प्रश्न – 13 : नकारात्मक अंकन के खतरे को देखते हुए प्रारंभिक परीक्षा में कितने प्रश्न करना ठीक होगा? जिन प्रश्नों के उत्तरों में संदेह हो, क्या उन्हें छोड़ देना ही उचित होगा?
उत्तर: इस बात को ठीक से समझने की ज़रूरत है। कई उम्मीदवार नकारात्मक अंकन से डरकर 40-50 प्रश्नों के ही उत्तर देते हैं। ऐसे में, अगर वे सारे उत्तर ठीक हो जाएँ तो भी परीक्षा में सफल होना संभव नहीं रहता। आपको कम से कम उतने प्रश्न तो करने ही चाहिये कि सफल होने की संभावना बन सके। इसके लिये थोड़ा बहुत खतरा उठाना ज़रूरी है। जिन प्रश्नों के चार विकल्पों में से 2 के बारे में आप निश्चित हैं कि सही उत्तर इन्हीं में से एक है, उनमें आपको खतरा उठाना चाहिये। गणितीय दृष्टि से कहें तो इसमें आपका उत्तर सही और गलत होने की संभावना बराबर है पर सही होने पर 2 अंक मिलेंगे जबकि गलत होने पर सिर्फ 0.67 अंकों का नुकसान होगा। ऐसे 4 में से 3 उत्तर गलत और एक सही होने पर आप न-लाभ-न-हानि की स्थिति में रहेंगे जबकि संभाव्यता (Probability) के नियम के अनुसार आशा की जा सकती है कि आपके 4 में से 2 उत्तर सही और 2 गलत होंगे। 2 उत्तर सही और 2 गलत होने की स्थिति में आपको 2.66 अंकों का शुद्ध लाभ होगा। अगर ऐसे प्रश्नों की संख्या 20 है तो यही लाभ बढ़कर लगभग 13 अंकों का हो जाएगा। इस बात को ठीक से समझ लेना ज़रूरी है कि परीक्षा में बहुत डरकर रहने से सफल होने की संभावना कम होती चली जाती है।
प्रश्न – 14 : ‘कट-ऑफ’ क्या है? इसका निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर: ‘कट-ऑफ’ का अर्थ है- वे न्यूनतम अंक जिन्हें प्राप्त करके कोई उम्मीदवार परीक्षा में सफल हुआ है। सिविल सेवा परीक्षा में हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार के परिणाम में ‘कट-ऑफ’ तय की जाती है। ‘कट-ऑफ’ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल। आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत यह ‘कट-आॅफ’ भिन्न-भिन्न वर्गों के उम्मीदवारों के लिए भिन्न-भिन्न होती है। प्रारंभिक परीक्षा में ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण केवल सामान्य अध्ययन (क्योंकि सीसैट का प्रश्नपत्र क्वालिफाइंग होता है) में प्राप्त किये गए अंकों के आधार पर किया जाता है। सीसैट के प्रश्नपत्र में क्वालिफाई करने के लिये अभ्यर्थियों को निर्धारित 33% अंक (लगभग 27 प्रश्न या 66 अंक) प्राप्त करने आवश्यक हैं। अगर कोई अभ्यर्थी सीसैट के प्रश्नपत्र में क्वालिफाई अंक प्राप्त नहीं कर पाता है तो उसके प्रथम प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन) की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन नहीं किया जाता है। ध्यान रहे कि प्रारंभिक परीक्षा में निगेटिव मार्किंग लागू है। ‘कट-ऑफ’ कोई स्थिर स्थिति नहीं है, इसमें हर साल बदलाव होता रहता है। इसका निर्धारण सीटों की संख्या, प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर तथा उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता जैसे कारकों पर निर्भर करता है। स्वाभाविक सी बात है कि अगर प्रश्नपत्र सरल होंगे, या उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता ऊँची होगी तो कट-ऑफ बढ़ जाएगा और विपरीत स्थितियों में अपने आप कम हो जाएगा।
प्रश्न – 15 : आयोग द्वारा प्रारंभिक परीक्षा में कितना ‘कट-ऑफ’ निर्धारित किया गया है ?
उत्तर: सामान्य वर्ग के लिये वर्ष 2015 का कट-ऑफ 107.34 रहा। हालाँकि 2016 की परीक्षा का कट-ऑफ अभी प्रकाशित नहीं हुआ है, लेकिन जानकारों की मानें तो सामान्य वर्ग के लिये कट-ऑफ 110-115 तक रह सकता है। इस आधार पर 2017 का कट-ऑफ भी लगभग इसी के आस-पास यानी 110-120 रहने की उम्मीद की जा सकती है।
प्रश्न – 16 : परीक्षा के दौरान प्रश्नों का समाधान किस क्रम में करना चाहिये? क्या किसी विशेष क्रम से लाभ होता है?
उत्तर: इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप सीसैट के सभी विषयों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न करके सफल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर यही होता है कि जिस क्रम में प्रश्न आते जाएँ, उसी क्रम में उन्हें करते हुए बढ़ें। पर, अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो आपको प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिये। सबसे पहले, निर्णयन तथा अंतर्वैयक्तिक कौशल के 7-8 प्रश्न करने चाहिये क्योंकि वे समय कम लेते हैं तथा उनमें नकारात्मक अंकन का खतरा नहीं होता। साथ ही, चूँकि उनमें ‘भेदात्मक अंकन’ (Differential marking) की व्यवस्था भी है, इसलिये अगर आपका उत्तर सर्वश्रेष्ठ नहीं है तो भी कुछ-न-कुछ अंक मिलने की संभावना बनी रहती है। इसके बाद, आप तेज़ी से वे प्रश्न करते चलें जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर किये जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें। अंत में समय बचे तो उन प्रश्नों को करें और नहीं तो छोड़ दें। एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। यह बात विशेष तौर पर बोधगम्यता (Comprehension) के प्रश्नों पर लागू होती है। 3-4 अनुच्छेद लगातार पढ़ने के बाद कई बार दिमाग थकने लगता है। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में गणित या तर्कशक्ति के कुछ सवाल कर लें और फिर लौटकर बोधगम्यता पर आ जाएँ। यही तकनीक अन्य खंडों पर भी लागू हो सकती है।
प्रश्न – 17 : परीक्षा में समय-प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है। उसके लिये क्या किया जाना चाहिये ?
उत्तर: पिछले प्रश्न के उत्तर में दिये गए सुझावों पर ध्यान दें। उसके अलावा, परीक्षा से पहले मॉक-टेस्ट श्रृंखला में भाग लें और हर प्रश्नपत्र में परीक्षण करें कि किस वर्ग के प्रश्न कितने समय में हल हो पाते हैं। ज़्यादा समय लेने वाले प्रश्नों को पहले ही पहचान लेंगे तो परीक्षा में समय बर्बाद नहीं होगा। बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।
प्रश्न – 18 : मैं शुरू से ही गणित में कमज़ोर हूँ। क्या मैं सीसैट में सफल हो सकता हूँ?
उत्तर: जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। सीसैट के 80 प्रश्नों में से गणित के प्रश्न अधिकतम 15 के आसपास होते हैं और इनमें भी 4-5 आँकड़ों की व्याख्या और पर्याप्तता के होते हैं। अगर आप गणित से पूरी तरह दूर रहना चाहते हैं तो बाकी प्रश्नों पर गंभीरता से मेहनत करें। हो सके तो गणित में कुछ ऐसे टॉपिक तैयार कर लीजिये जो आपको समझ में आते हैं और जिनसे प्रायः सवाल भी पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिये, अगर आप प्रतिशतता और अनुपात जैसे टॉपिक तैयार कर लेंगे तो गणित के साथ-साथ ‘आँकड़ों की व्याख्या’ वाले खंड में भी आपके कई प्रश्न ठीक हो जाएँगे। इस तरह अगर आप गणित के 15 में से 3-4 सवाल भी हल कर लेंगे तो आप ‘क्वालिफाइंग’ के स्तर को छू सकते हैं।
प्रश्न – 19 : क्या सभी प्रश्नों को ओ.एम.आर. शीट पर एक साथ भरना चाहिये या साथ-साथ भरते रहना चाहिये ?
उत्तर: बेहतर होगा कि 4-5 प्रश्नों के उत्तर निकालकर उन्हें शीट पर भरते जाएँ। हर प्रश्न के साथ उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरने में ज़्यादा समय खर्च होता है। दूसरी ओर, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओ.एम.आर. शीट भरना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण उसे भर ही नहीं पाते। ऐसी दुर्घटना से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को एक साथ भरते चलें। बोधगम्यता तथा आँकड़ों की व्याख्या के प्रश्नों में प्रायः एक अनुच्छेद या सूचना के आधार पर 5-6 प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे सभी प्रश्न एक साथ कर लेने चाहिये और साथ ही ओ.एम आर. शीट पर भी उन्हें भर दिया जाना चाहिये।
प्रश्न – 20 : मुझसे बोधगम्यता (Comprehension) के प्रश्नों में बहुत सी गलतियाँ हो जाती हैं। इस खंड में अपना स्तर सुधारने के लिये मुझे क्या करना चाहिये?
उत्तर: बोधगम्यता के प्रश्नों को आसान समझकर कई उम्मीदवार लापरवाही करते हैं जो अंत में घातक सिद्ध होती है। बेहतर यही है कि उम्मीदवार नियमित तौर पर इस खंड का अभ्यास करते रहें, इसे आसान समझकर हल्के में न लें। संभव हो तो अभ्यास ऐसी पुस्तकों से करना चाहिये जिनमें अनुच्छेद दोनों भाषाओं में आमने-सामने दिये गए हों। हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों को यह आदत भी डालनी चाहिये कि जहाँ कहीं हिंदी पाठ में कोई उलझन या तकनीकी शब्द हो, वहाँ वे अंग्रेज़ी पाठ को देखकर जाँच लें कि वे सही अर्थ समझ रहे हैं या नहीं? बोधगम्यता में अपना स्तर सुधारने के लिये एक अच्छा उपाय यह भी हो सकता है कि आप रोज़ अख़बार का कोई लेख पढ़कर अपने शब्दों में उसका सार लिखें। इससे भाषा पर आपकी पकड़ मज़बूत होगी जिससे न सिर्फ बोधगम्यता में आपका स्तर सुधरेगा बल्कि मुख्य परीक्षा के लिये लेखन शैली का भी विकास होगा।
प्रश्न – 21 : क्या ‘मॉक टेस्ट’ देने से प्रारंभिक परीक्षा में कोई लाभ होता है? अगर हाँ, तो क्या?
उत्तर: सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में मॉक टेस्ट देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। इसका पहला लाभ है कि आप परीक्षा में होने वाले तनाव (Anxiety) पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं। दूसरे, समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है। तीसरे, अलग-अलग परीक्षाओं में आप यह प्रयोग कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुँच पा रहे हैं। इन प्रयोगों के आधार पर आप अपनी परीक्षा संबंधी रणनीति निश्चित कर सकते हैं। चौथा लाभ यह है कि आपको यह अनुमान होता रहता है कि अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है? ध्यान रहे कि ये सभी लाभ तभी मिलते हैं अगर आपने मॉक टेस्ट श्रृंखला का चयन भली-भाँति सोच-समझकर किया है। ‘दृष्टि संस्थान’ की मॉक टेस्ट सीरीज़ कार्यक्रम श्रेष्ठ गुणवत्ता वाला है जिसमें आप जनवरी से अप्रैल के दौरान काफी सारी जाँच परीक्षाएँ दे सकते हैं।
प्रश्न – 22 : प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र हेतु अभ्यर्थियों को किस प्रकार के प्रश्नों का अभ्यास करना चाहिये ?
उत्तर: तैयारी के विभिन्न चरणों में अभ्यर्थियों को विभिन्न प्रकार के प्रश्नों का अभ्यास चाहिये। तैयारी के प्रथम चरण (प्रारंभिक परीक्षा) में विषय आधारित प्रश्नों को शामिल करना चाहिये। एक बार सामान्य अध्ययन के एक भाग को पढ़ने के पश्चात् इस विषय से सम्बन्धित प्रश्नों का अभ्यास किया जाना चाहिये। तैयारी के दूसरे चरण में स्व- मूल्यांकन के लिये मिश्रित प्रश्नों को हल किया जा सकता है। हालाँकि, यह विचारणीय है कि किसी भी विषय को सीखने के लिये प्रश्नों का अभ्यास करना एक उत्तम मार्ग नहीं है, लेकिन प्रश्नों को हल करने से आपकी तैयारी को विस्तार मिलता है और ये आपके समय को नियोजित करते हैं, जिससे आपको आगे अध्ययन करने में सहायता मिलती है।
प्रश्न – 23 : प्रारंभिक परीक्षा और इसके परिणाम के मध्य के समय का उपयोग किस तरह किया जा सकता है?
उत्तर: प्रारंभिक परीक्षा के तुरंत बाद कुछ दिनों के लिये अध्ययन को विराम देना ज़रुरी है। इसके पश्चात् मुख्य परीक्षा के लिये चुने गए वैकल्पिक विषय को इस उद्देश्य से सावधानीपूर्वक पढ़ें ताकि मुख्य परीक्षा से पूर्व आप इससे भली-भाँति परिचित हो जाएँ। सामान्यत: यह देखा गया है कि अभ्यर्थी वैकल्पिक विषय को पिछले पाँच महीनों अथवा प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी के दौरान भी नहीं पढ़ते हैं। इसके अतिरिक्त अभ्यर्थी को कुछ समय सामान्य अध्ययन को भी देना चाहिये।
प्रश्न – 24 : मुख्य परीक्षा के लिये वैकल्पिक विषय चुनते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिये ?
उत्तर: उपयुक्त वैकल्पिक विषय का चयन ही वह निर्णय है जिस पर किसी उम्मीदवार की सफलता का सबसे ज़्यादा दारोमदार होता है। विषय चयन का असली आधार सिर्फ यही है कि वह विषय आपके माध्यम में कितना ‘स्कोरिंग’ है? विषय छोटा है या बड़ा, वह सामान्य अध्ययन में मदद करता है या नहीं – ये सभी आधार भ्रामक हैं। अगर विषय छोटा भी हो और सामान्य अध्ययन में मदद भी करता हो किंतु दूसरे विषय की तुलना में 100 अंक कम दिलवाता हो तो उसे चुनना निश्चित तौर पर घातक है। भूलें नहीं कि आपका चयन अंततः आपके अंकों से ही होता है, इधर-उधर के तर्कों से नहीं। वर्तमान में, अंक दिलवाने की दृष्टि से साहित्य के विषय सर्वोच्च स्तर पर हैं। आप जिस भी भाषा में सहज हैं, उसका साहित्य चुन सकते हैं; जैसे हिंदी साहित्य, गुजराती साहित्य इत्यादि। अगर साहित्य के विषय न चुनना चाहें तो अन्य अंकदायी विषयों में से किसी का चयन कर सकते हैं।
प्रश्न – 25 : मैं इंजीनियरिंग में स्नातक हूँ। अंक प्राप्ति के दृष्टिकोण से तैयारी के लिये आप मुझे एक उपयुक्त वैकल्पिक विषय सुझाइए।
उत्तर: हाल के वर्षों में इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों का झुकाव मानविकी विषयों की ओर अधिक हुआ है। इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के विद्यार्थी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषय के रुप में विज्ञान अथवा मानविकी के विषयों का चयन कर सकते हैं। इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के अधिकांश अभ्यर्थियों में सामान्यत: यह प्रवृत्ति देखी गई है कि वे भूगोल, दर्शनशास्त्र, हिंदी साहित्य अथवा लोक प्रशासन को वैकल्पिक विषय के रूप में अधिक सुविधाजनक मानते हैं। इन चारों वैकल्पिक विषयों में समय का अपव्यय नहीं होता है तथा इन विषयों को कम समय में भी आसानी से तैयार किया जा सकता है।
प्रश्न – 26 : मैं अर्थशास्त्र विषय से स्नातक हूँ लेकिन मैं अर्थशास्त्र विषय को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुनने का इच्छुक नहीं हूँ। मैंने इंटरमीडिएट की परीक्षा विज्ञान विषयों के साथ उतीर्ण की है। कृपया सुझाव दें कि क्या मैं विज्ञान के किसी विषय को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुन सकता हूँ?
उत्तर: यदि आप अर्थशास्त्र को वैकल्पिक विषय के रूप में चुनने के इच्छुक नहीं हैं तो आपको मानविकी के किसी भी विषय को वैकल्पिक विषय के रूप में चुनने का सुझाव दिया जा सकता है। इंटरमीडिएट स्तर पर विज्ञान विषयों का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों में से भी कुछ ही विद्यार्थी विज्ञान के विषयों को वैकल्पिक विषय के रूप में चुनते हैं। आपनी पृष्ठभूमि को देखते हुए आप भूगोल, दर्शनशास्त्र, हिंदी साहित्य अथवा लोक प्रशासन जैसे विषयों में से किसी एक विषय को चुन सकते हैं।
प्रश्न – 27 : क्या एक विद्यार्थी को मुख्य परीक्षा में दी गई शब्द सीमा का पालन करना अनिवार्य है?
उत्तर: चूँकि संघ लोक सेवा आयोग ने उत्तर लेखन की शब्द सीमा निर्धारित की है अतः आयोग इस शब्द सीमा के भीतर ही अभ्यर्थियों द्वारा सभी उपयुक्त सूचना उपलब्ध कराए जाने की अपेक्षा करता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में अभ्यर्थी उत्तर लेखन की शब्द सीमा आयोग द्वारा निर्धारित शब्द सीमा से थोड़ी अधिक अथवा कम (सामान्यत: दी गई शब्द सीमा का 10%) रख सकते हैं। निर्धारित शब्द सीमा में उपयोगी ज़रुरी सूचना उपलब्ध कराने के लिये निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है इसलिये मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने से पूर्व अभ्यर्थियों को उत्तर लेखन अभ्यास अवश्य कर लेना चाहिये।
प्रश्न – 28 : मुख्य परीक्षा के प्रश्नों को लिखते समय अभ्यर्थी को मुख्यतः किन बातों का ध्यान रखना चाहिये?
उत्तर: प्रभावी उत्तर लिखने के लिये प्रश्नों की समझ अनिवार्य शर्त है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिये प्रश्नों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है। यदि एक प्रश्न को कई भागों में विभाजित किया गया है तो विद्यार्थी को प्रश्नों को कम से कम दो बार अवश्य पढ़ना चाहिये। उत्तर की रुपरेखा तैयार करने से पूर्व अभ्यर्थी को प्रश्न के सभी आयामों को भली-भाँति समझ लेना चाहिये उसके पश्चात् ही शब्द सीमा का ध्यान रखते हुए उत्तर-लेखन प्रारंभ करना चाहिये।
प्रश्न – 29 : अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये मुख्य परीक्षा में तथ्यात्मक अथवा विश्लेषणात्मक में से किस प्रकार के प्रश्नों को हल करने का प्रयास किया जाना चाहिये?
उत्तर: इस परीक्षा में आपके द्वारा लिखे गए उत्तर पर आपको अंक दिये जाते हैं न कि प्रश्नों के स्वरूप पर। एक अभ्यर्थी को प्रश्न के स्वरूप को देखते हुए स्वयं के पास उस प्रश्न से संबंधित सभी सूचनाओं को संकलित करते हुए उन्हें संयोजित करने की अपनी क्षमता के अनुसार प्रश्न का चयन करना चाहिये। हालाँकि ऐसी कोई पूर्वधारणा नहीं है कि तथ्यात्मक अथवा विश्लेषणात्मक प्रश्नों पर सदैव ही अच्छे अंक प्राप्त होंगे।
प्रश्न – 30 : उत्तर लेखन में अभ्यर्थी को सामान्य भाषा का प्रयोग करना चाहिये अथवा अलंकृत भाषा का?
उत्तर: उत्तर लेखन में सूचनाओं और भाषाओं का समायोजन इस प्रकार होना चाहिये कि परीक्षक की अंत तक उसे पढ़ने में रुचि बनी रहे। अतः यह ध्यान देने योग्य है कि यदि आपके द्वारा उत्तर में लिखी गई सूचनाएँ सही हैं और उनका ठीक से समायोजन किया गया है तो निश्चित ही आपको अच्छे अंक प्राप्त होंगे।
प्रश्न – 31 : इस परीक्षा में विगत वर्षों की मुख्य परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों का अभ्यास करने के क्या फायदे हैं ?
उत्तर: विगत वर्ष के प्रश्नों का अभ्यास इस परीक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है परन्तु उन्हें कम ही दोहराया जाता है। हालाँकि समय प्रबंधन में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि इससे प्रश्नों के स्वरूप तथा दी गई शब्द सीमा में प्रश्नों के उत्तर लिखने की क्षमता विकसित होती है। सामान्यतः तैयारी के दौरान अभ्यर्थी सूचनाओं के उचित उपयोग को जाने बिना ही उनके संग्रहण पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं। इन सूचनाओं की परीक्षा में उपयोगिता एवं उचित समायोजन विगत वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास करके सीखा जा सकता है।
प्रश्न – 32 : इस परीक्षा में निबंध लेखन की क्या भूमिका है ? अच्छे निबंध लेखन की प्रवृत्ति को कैसे विकसित किया जाए ?
उत्तर: सिविल सेवा परीक्षा के बदले हुए पाठ्यक्रम ने आपके अंतिम चयन में निबंध को निर्धारक भूमिका में ला खड़ा किया है। सामान्य अध्ययन अथवा वैकल्पिक विषय के प्रश्नपत्रों की अपेक्षा निबंध के प्रश्नपत्र में अपेक्षाकृत कम मेहनत करके अधिक अंक लाए जा सकते हैं। आप 250 अंकों के प्रश्नपत्र में 160-170 अंक तक प्राप्त कर सकते हैं। निबंध लेखन सामान्य अध्ययन अथवा वैकल्पिक विषय के प्रश्नों के उत्तर लेखन से सर्वथा भिन्न होता है। इसके माध्यम से किसी व्यक्ति की मौलिकता एवं व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। निबंध लेखन एक ऐसी कला है जो समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होती है। पूर्व में निबंध के लिये बाज़ार में कोई स्तरीय पुस्तक उपलब्ध नहीं होने के कारण इसके लिये अध्ययन सामग्री की कमी थी। लेकिन हाल ही में ‘दृष्टि पब्लिकेशन’ द्वारा प्रकाशित ‘निबंध-दृष्टि’ पुस्तक ने इस कमी को दूर कर दी है। इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से श्रेणी के अनुसार विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा-शैली एवं अप्रोच स्तरीय हैं। इसके अतिरिक्त इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये आप परीक्षा से पूर्व इससे सम्बंधित किसी मॉक टेस्ट श्रृंखला में सम्मिलित हो सकते हैं। अगर संभव हो तो ‘दृष्टि’ संस्थान, दिल्ली में चलाए जाने वाली निबंध की कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। यह सुझाव दिया जा सकता है कि यदि कोई एक सप्ताह में एक निबंध लिख सकता है तथा एक माह में चार निबंधों की रुपरेखा तैयार कर सकता है तो यह परीक्षा की तैयारी के लिये अभ्यर्थी की संतोषप्रद स्थिति है।
प्रश्न – 33 : सामान्य अध्ययन (मुख्य परीक्षा) के प्रश्नपत्र 4 का संबंध किन विषयों से है? क्या कुछ लोगों का यह दावा ठीक है कि यह लोक प्रशासन या दर्शनशास्त्र का ही हिस्सा है?
उत्तर: प्रश्नपत्र-4 को किसी एक विषय का हिस्सा बताना भ्रामक है। पाठ्यक्रम को ध्यान से पढ़कर कोई भी इस बात को समझ सकता है कि इस प्रश्नपत्र के अलग-अलग टॉपिक विभिन्न विषयों से संबंधित हैं। उदाहरण के लिये, ‘भावनात्मक योग्यता’ (Emotional Intelligence), ‘अभिवृत्ति’ (Attitude) तथा ‘अभिरुचि’ (Aptitude) जैसे विषयों का संबंध मनोविज्ञान से है; ‘नीतिशास्त्र’ (Ethics) का संबंध दर्शनशास्त्र से है; ‘मानवीय मूल्य’ का कुछ संबंध समाजशास्त्र से है जबकि अंत के दो टॉपिक (जैसे ‘शासन व्यवस्था में ईमानदारी’) लोक-प्रशासन से हैं। इन सब विषयों को मिलाकर ही प्रश्नपत्र-4 को समझा जा सकता है। संघ लोक सेवा आयोग ने यह कोशिश भी की है कि उम्मीदवार की चेतना में ये सभी विषय अलग-अलग न रह जाएँ बल्कि वह इनके पारस्परिक संबंध भी समझे। इसीलिये, प्रश्नपत्र-4 के पाठ्यक्रम में कई स्थानों पर इन विषयों को आपस में जोड़कर उप-शीर्षक बनाए गए हैं, जैसे ‘लोक-प्रशासन में नीतिशास्त्र’, ‘सिविल सेवा के लिये अभिरुचि और बुनियादी मूल्य’ इत्यादि। सच यह है कि प्रश्नपत्र-4 की आत्मा ‘अंतर-विषयक समझ’ (Inter-disciplinary understanding) के सहारे ही पकड़ी जा सकती है। इसलिये, अगर कोई भी कहता है कि यह प्रश्नपत्र किसी एक विषय पर आधारित है तो समझ जाइए कि वह खुद इसका मर्म समझने की अर्हता नहीं रखता।
प्रश्न – 34 : सिविल सेवा परीक्षा में साक्षात्कार कितने अंकों का होता है? अंतिम चयन में इसकी क्या भूमिका है?
उत्तर: साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है। सिविल सेवा परीक्षा में साक्षात्कार के लिये 275 अंक (1750 अंक मुख्य परीक्षा के लिये निर्धारित किया गया है) निर्धारित किया गया है। इस परीक्षा के लिये निर्धारित कुल 2025 अंकों में साक्षात्कार के लिये 275 अंकों का निधारित होना अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसकी भूमिका को स्वयं ही स्पष्ट करता है। यद्यपि साक्षात्कार इन परीक्षाओं का अंतिम चरण है, लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है। साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये ‘साक्षात्कार की तैयारी’ (interview preparation) शीर्षक का अध्ययन करें।
प्रश्न – 35 : क्या साक्षात्कार के दौरान बोर्ड शहरी पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों से ही प्रभावित होता है? क्या ग्रामीण पृष्ठभूमि के अभ्यर्थी को लाभ प्राप्त नहीं होता है?
उत्तर: साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है न कि उनके पृष्ठभूमि का। विगत वर्षों में सफलता की प्रवृत्ति में कुछ अनुपातिक बदलाव अवश्य देखने को मिला है लेकिन वास्तव में आयोग की ऐसी कोई धारणा नहीं है। अत: आपको अपनी पृष्ठभूमि पर ध्यान न देते हुए परीक्षा की प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाते हुए तैयारी करनी चाहिये।
प्रश्न – 36 : क्या साक्षात्कार की तैयारी हेतु, सम्पूर्ण तैयारी के बिना मॉक साक्षात्कारों में भाग लेना अदूरदर्शिता है?
उत्तर: मॉक साक्षात्कार के दौरान विशेषज्ञों द्वारा वास्तविक साक्षात्कार के वातावरण का निर्माण किया जाता है, जिनमें अभ्यर्थियों का व्यक्तित्व परीक्षण एवं विभिन्न विषयों की समझ की जाँच की जाती है। यदि अभ्यर्थी प्रश्नों का उचित तरीके से उत्तर देने में असमर्थ रहता है तो यह अभ्यर्थी पर निराशाजनक प्रभाव डाल सकता है। इसलिये सम्पूर्ण तैयारी के बिना मॉक साक्षात्कारों को पूर्णतः नज़रंदाज किया जाना चाहिये।
प्रश्न – 37 : साक्षात्कार में शिष्टाचार की क्या भूमिका है?
उत्तर: शिष्टाचार का साक्षात्कार में विशेष महत्त्व है क्योंकि इससे साक्षात्कारकर्ता के मस्तिष्क में अभ्यर्थी की एक छवि बनती है जो अंक देते समय उन्हें प्रभावित करती है। अतः यह सलाह दी जाती है कि ऐसे अवसरों पर अभ्यर्थी को सामान्य शिष्टाचार बनाए रखना चाहिये जो उनके प्रदर्शन को मज़बूत आधार प्रदान कर सके।
प्रश्न – 38 : साक्षात्कार के लिये ड्रेस कोड क्या होना चाहिये?
उत्तर: सिविल सेवा साक्षात्कार, दिन के समय होता है अतः हल्के रंग की पोशाक को प्राथमिकता दी जाती है। इसमें सामान्य रुप से दैनिक जीवन में पहने जाने वाला वस्त्र नहीं होना चाहिये। पुरुषों में सामान्यत: फुल स्लीव शर्ट, कंट्रास्ट कलर पैंट, लेदर बेल्ट,लेदर जूते और एक मैचिंग टाई को पोशाक के रूप में रखा जा सकता है। महिलाओं के लिये हल्के रंग की साड़ी को प्राथमिकता दी गई है यदि वे साड़ी में सुविधाजनक नहीं हैं तो सलवार सूट भी पहन सकती हैं।
प्रश्न – 39 : क्या साक्षात्कार के दौरान सिविल सेवा की पृष्ठभूमि वाले अभ्यर्थी को कोई अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है?
उतर: नहीं, ऐसी कोई अवधारणा नहीं है। एक समय था जब ऐसा देखा जाता था कि अधिकतर सफल अभ्यर्थी सिविल सेवकों के परिवारों से ही होते थे लेकिन आजकल यह स्थिति नहीं है। एक सिविल सेवक का पुत्र अथवा पुत्री होने से आपको न तो कोई अतिरिक्त लाभ मिलता है और न ही इससे आपकी सफलता को कोई नुकसान पहुँचता है। अभ्यर्थी का चयन उसकी योग्यता से होता है न कि पारिवारिक पृष्ठभूमि से।