सामान्य अध्ययन प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु हिंदी माध्यम का सर्वश्रेष्ठ संस्थान...
सामान्य अध्ययन प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु हिंदी माध्यम का सर्वश्रेष्ठ संस्थान...
इंटरव्यू
इंटरव्यू बोर्ड की संरचना:
इंटरव्यू से पूर्व उम्मीदवार को यह जानना ज़रूरी है कि इंटरव्यू बोर्ड में कितने सदस्य होते हैं और उनकी क्या भूमिका होती है?
संघ लोक सेवा आयोग की सामान्य नीति है कि इंटरव्यू बोर्ड में पाँच सदस्य होने चाहिये। अगर कोई उम्मीदवार किसी भारतीय भाषा (हिंदी या किसी अन्य भाषा) के माध्यम से इंटरव्यू देता है तो उसके बोर्ड में पाँच सदस्यों के अलावा एक व्यक्ति (दुभाषिया या इंटरप्रेटर) भी उपस्थित होता है जिसका कार्य अनुवाद संबंधी समस्याओं को सुलझाना होता है।
प्रत्येक बोर्ड में एक अध्यक्ष और चार सदस्य होते हैं । अध्यक्ष के तौर पर वही व्यक्ति हो सकता है जो संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य हों।
इंटरव्यू बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा जो चार सदस्य होते हैं, उनमें से प्रायः दो से तीन नौकरशाही के ही ऊँचे स्तर के अधिकारी होते हैं। आमतौर पर संयुक्त सचिव या उससे वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को इस भूमिका के लिये आमंत्रित किया जाता है।
बोर्ड में कम से कम एक सदस्य अकादमिक जगत से संबंधित होता है। इस कार्य के लिये प्रायः किसी विश्वविद्यालय के उपकुलपति या प्रोफेसर स्तर के व्यक्ति को आमंत्रित किया जाता है।
आयोग की कोशिश रहती है कि इंटरव्यू लेने वाले पाँच सदस्यों में कम से कम एक महिला सदस्य अवश्य शामिल हो, हालाँकि यह कोई लौह-नियम नहीं है। तथापि उम्मीदवार को इस बात के लिये तैयार रहना चाहिये कि बोर्ड में कम से कम एक महिला सदस्य भी उपस्थित होगी।
इंटरव्यू कक्ष में प्रवेश कैसे करें?
उम्मीदवारों का इंटरव्यू आयोग के एक बंद कमरे में इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों के समक्ष होता हैं। कुछ कमरे ऐसे हैं जिनमें प्रवेश करते ही सामने आपको बोर्ड के सभी सदस्य बैठे हुए नज़र आते हैं जबकि कुछ कमरे काफी बड़े आकार के हैं जिनमें कुछ कदम चलने के बाद मुड़ने पर बोर्ड के सदस्य दिखाई पड़ते हैं।
जैसे ही आपको बुलाए जाने के लिये घंटी बजेगी, आयोग का कर्मचारी स्वयं ही आपके लिये दरवाज़ा खोल देगा। जैसे ही आपके लिये दरवाज़ा खोला जाएगा, वहीं से आपकी परीक्षा शुरू हो जाएगी।
इंटरव्यू की पहली चुनौती यह है कि बोर्ड के सदस्यों का अभिवादन कैसे किया जाए? अभिवादन ठीक उस बिंदु पर किया जाना चाहिये जहाँ से पहली बार बोर्ड सदस्यों के साथ आपकी नज़रें मिलती हैं। अगर दरवाज़ा खुलते ही वे लोग सामने बैठे हुए दिखें तो आपको प्रवेश करने के साथ ही अभिवादन करना चाहिये। यदि थोड़ा चलकर मुड़ने के बाद वे आपको नज़र आएँ तो मोड़ पर पहुँचकर (यानी उनके सामने पहुँचकर) आपको अभिवादन करना चाहिये।
अगर आपको लगे कि बोर्ड के अध्यक्ष का ध्यान आपकी ओर नहीं है या सभी सदस्य आपस में बातचीत में मशगूल हैं तो सबसे पहले आपको पूछना चाहिये कि “क्या मैं आ सकता हूँ, सर/मैडम” ? यह वाक्य हिंदी में ही बोला जाए, ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। अगर आप अंग्रेज़ी में सहज हैं तो ‘मे आई कम इन, सर/मैडम’ भी कह सकते हैं। आमतौर पर बोर्ड के सदस्य बहुत सुलझे हुए होते हैं और ऐसी छोटी-मोटी बातों को तवज्जो नहीं देते।
जैसे ही आप भीतर आने की अनुमति मांगेंगे, वैसे ही अध्यक्ष या कोई न कोई सदस्य आपको अनुमति दे देंगे। अनुमति मिलते ही आपको अभिवादन करना चाहिये। अभिवादन के लिये ‘नमस्कार’, ‘गुड मॉर्निंग’, ‘गुड आफ्टरनून’ में से कुछ भी बोल सकते हैं, परन्तु यहाँ किसी भी प्रकार की नाटकीयता से बचना चाहिये।
सभी सदस्यों को बारी-बारी नमस्कार करने की बजाए सिर्फ एक बार अध्यक्ष की तरफ हल्का सा सिर झुकाकर नमस्कार कर देना काफी होता है। नमस्कार के लिए हाथ न जोड़ें क्योंकि उससे अति औपचारिकता या चापलूसी का भाव नज़र आता है। अगर आपने ठाना हुआ है कि सभी सदस्यों को नमस्कार करना ही है तो ज़्यादा से ज़्यादा दो बार नमस्कार कह दें- एक बार बाईं ओर के सदस्यों को देखते हुए और एक बार दाईं ओर के सदस्यों को देखते हुए।
कुछ लोगों द्वारा यह भी कहा जाता हैं कि अगर बोर्ड में कोई महिला सदस्य उपस्थित हो तो उन्हें अलग से अभिवादन किया जाना चाहिये। यह बात गलत नहीं है पर इसे बहुत ज़्यादा महत्त्व नहीं देना चाहिये। सहजता से ऐसा कर पाएँ तो ठीक है, पर भूल जाएँ तो तनाव न लें। इसका बोर्ड के सदस्यों पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता।
ऐसा भी हो सकता है कि जैसे ही आप बोर्ड के समक्ष पहुँचें, आपके अनुमति मांगने से पहले ही वे आपसे भीतर आने के लिए कह दें। ऐसा हो तो घबराएँ नहीं। वे किसी साजिश के तहत ऐसा नहीं करते हैं, वरन् सामान्य भाव से करते हैं। ऐसी स्थिति में आपको बातचीत की शुरुआत अभिवादन से करनी चाहिये।
जैसे ही आप अभिवादन करेंगे, वे आपको जवाब देने के बाद बैठने के लिये कहेंगे। ऐसा होते ही आपको ‘धन्यवाद सर/मैडम’ कहकर बैठ जाना चाहिये। ‘सर’ और ‘मैडम’ में से किस संबोधन का प्रयोग करना है, इसका फैसला अध्यक्ष के अनुसार या उस सदस्य के अनुसार करना चाहिये जिसने आपसे बैठने के लिये कहा है।
कभी-कभी ऐसा होता है कि बोर्ड सदस्य आपके अभिवादन का जवाब देने के बाद भी आपको बैठने के लिये न कहें। अगर ऐसा हो तो भी आप घबराएँ नहीं। मानकर चलें कि यह भी किसी साजिश के तहत नहीं बल्कि भूलवश हुआ होगा। कुछ देर शांति से वहीं खड़े रहें। बोर्ड के सदस्य आपको खड़ा हुआ देखकर खुद ही बैठने को कह देंगे। अगर उनका ध्यान आपकी ओर न जाए तो आपको स्वयं उनसे पुनः निवेदन कर लेना चाहिये।
बैठने का सही तरीका:
इंटरव्यू कक्ष में प्रवेश करते ही बोर्ड के सदस्य उम्मीदवार से बैठने का निवेदन करते हैं। उनकी मेज़ के सामने उम्मीदवार के लिये एक कुर्सी रखी होती है। कई उम्मीदवार सोचते हैं कि उन्हें कुर्सी को आगे-पीछे नहीं करना चाहिये क्योंकि ऐसा करने पर अवांछनीय शोर होता है। इस भय के कारण वे कुर्सी पर बैठ तो जाते हैं किंतु सहज नहीं हो पाते।
इस संबंध में ध्यान रखने की बात यह है कि अगर उम्मीदवार सहज होकर बैठेगा ही नहीं तो वह अगले आधे घंटे तक ठीक से बात कैसे करेगा? उसके मन में कहीं न कहीं यह तनाव बना रहेगा कि वह सुविधाजनक तरीके से नहीं बैठा है। इसी तनाव में उसका निष्पादन कमज़ोर हो जाएगा और कुल मिलाकर एक छोटे से भय के कारण उसकी संभावित सफलता भी खतरे में पड़ जाएगी।
इसका समाधान यह है कि बैठते समय अपनी सहजता को सर्वाधिक महत्त्व दें। अगर आपकी कुर्सी सदस्यों की मेज़ से बहुत दूर या अत्यंत नज़दीक रखी है तो उसे आगे या पीछे करने में बिल्कुल भी संकोच न करें। कोशिश करनी चाहिये कि यह प्रक्रिया दो-तीन सेकण्ड से ज़्यादा लंबी न हो।
इंटरव्यू की शुरुआत:
इंटरव्यू की शुरुआत बोर्ड अध्यक्ष द्वारा की जाती है। सामान्य परंपरा यह है कि अध्यक्ष महोदय उम्मीदवार का परिचय शेष सदस्यों से करवाते हैं। वह उसके बायोडाटा की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें पढ़कर सुनाते हैं ताकि शेष सदस्य यह तय कर सकें कि वे उम्मीदवार से किस संदर्भ में प्रश्न पूछेंगे।
यहाँ यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि सभी सदस्यों के पास उम्मीदवार द्वारा मुख्य परीक्षा के फॉर्म में दी गई जानकारियों का संक्षिप्त रिकॉर्ड होता है और वे उसके आधार पर उससे कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं।
अध्यक्ष महोदय शुरुआत में आमतौर पर बायोडाटा से जुड़े बुनियादी प्रश्न पूछते हैं। उनका पहला दायित्व यही होता है कि वे उम्मीदवार का तनाव कम करके उसे सहज स्थिति में ले आएँ। उम्मीदवार को विशेष रूप से कोशिश करनी चाहिये कि वह बोर्ड अध्यक्ष के प्रश्नों का जवाब उत्कृष्टता के साथ दे।
अपनी बात पूरी कर लेने के बाद बोर्ड अध्यक्ष अपने निकट बैठे सदस्य से निवेदन करते हैं कि वे उम्मीदवार से प्रश्न पूछें।
आपका इंटरव्यू कितना देर चलेगा इसका संबंध इस बात से है कि आप माहौल को कितना रोचक बना पा रहे हैं? यह ज़रूरी तो नहीं है लेकिन आमतौर पर इंटरव्यू लंबा चलने और अधिक अंक आने में सहसंबंध देखा जाता है।
इंटरव्यू के दौरान होने वाली सामान्य बातें:
यहाँ हमें एक सवाल पर विचार करना चाहिये जिसे लेकर बहुत से उम्मीदवार संशय में रहते हैं। प्रश्न यह है कि जिस समय कोई सदस्य उम्मीदवार से बातचीत कर रहा होता है, उस समय उम्मीदवार को सिर्फ उसी से बातचीत करनी चाहिये या बोर्ड के बाकी सदस्यों को भी बातचीत में शामिल करना चाहिये?
कुछ लोगों के अनुसार, उम्मीदवार को सभी बोर्ड सदस्यों से बातचीत करनी चाहिये। इसके लिये उसे जवाब देते समय शेष सदस्यों को भी देखते रहना चाहिये ताकि वे उसके इंटरव्यू में इन्वॉल्व (Involve) हो सकें। कुछ विशेषज्ञ इस शैली को ‘साइमल्टेनियस आई कॉन्टेक्ट’ (Simultaneous Eye Contact) कहते हैं। उनका तर्क है कि अगर उम्मीदवार किसी एक सदस्य से ही बातचीत करता रहेगा तो बाकी सदस्य उसके इंटरव्यू में इन्वॉल्व नहीं होंगे और अंकों के स्तर पर उसे इसका नुकसान झेलना पड़ेगा।
सच कहें तो यह एक भ्रांति है। सही बात यह है कि उम्मीदवार को सिर्फ और सिर्फ उसी सदस्य से बात करनी चाहिये जिसने उससे प्रश्न पूछा है। इस सलाह के पीछे दो कारण हैं।
पहला यह कि जब उम्मीदवार किसी सदस्य से बातचीत करते हुए बीच-बीच में दाएँ-बाएँ देखता है तो उस सदस्य को अपना अपमान महसूस होता है। साथ ही उसे यह भी लग सकता है कि उम्मीदवार में आत्मविश्वास या सहजता की कमी है।
दूसरा यह है कि बाकी सदस्य भी उम्मीदवार के ऐसे प्रयासों से खुश होने की बजाय नाराज़ हो सकते हैं। जब उम्मीदवार किसी विशेष सदस्य से बात कर रहा होता है तो शेष सदस्य निश्चिंत होकर उसे देखते हैं और उसके जवाबों का मूल्यांकन करते हैं। कभी-कभी वे आपस में बातचीत भी करते हैं और ज़रूरत होने पर अपना कोई व्यक्तिगत कार्य भी (जैसे फोन पर मैसेज पढ़ना, चाय पीना इत्यादि) करते हैं। अगर इस समय उम्मीदवार उनकी ओर देखने लगता है तो वे दबाव में आ जाते हैं। उन्हें इंटरव्यू की गरिमा बनाए रखने के लिए सजग होकर उम्मीदवार की ओर देखते रहना पड़ता है और उनकी सहजता खत्म हो जाती है। सहजता खत्म होने से उनका तनाव बढ़ता है और उम्मीदवार के प्रति नाराज़गी का भाव पैदा होता है। इसलिये बेहतर यही है कि उम्मीदवार उनकी सहजता में दखल न दे और सिर्फ उसी सदस्य की ओर मुखातिब रहे जो उससे प्रश्न पूछ रहा है।
कभी-कभी ऐसा होता है कि जब उम्मीदवार किसी सदस्य के प्रश्न का उत्तर दे रहा होता है, तभी कोई दूसरा सदस्य या अध्यक्ष स्वयं उम्मीदवार को टोक देता है। यह भी हो सकता है कि एक सदस्य प्रश्न पूछे और दूसरा सदस्य उस प्रश्न से जुड़ी एक बात और पूछ ले। यहाँ प्रश्न यह है कि ऐसी स्थिति में उम्मीदवार को क्या करना चाहिये?
ऐसी स्थिति को संभालना चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन कुछ सामान्य सिद्धांतों के आधार पर इसे सुलझाया जा सकता है। पहली बात यह है कि अगर बोर्ड का अध्यक्ष बीच में दखल दे तो उम्मीदवार की प्राथमिक ज़िम्मेदारी उसी के प्रति बनती है। उसे पहले बोर्ड अध्यक्ष के प्रश्न का उत्तर देना चाहिये और फिर वापस उस सदस्य की ओर लौटना चाहिये जिसने मूल प्रश्न पूछा था।
वैसे, बोर्ड के अध्यक्ष आमतौर पर खुद ही इस बात का ध्यान रखते हैं। अगर उन्होंने किसी सदस्य के प्रश्न में कोई प्रश्न अपनी ओर से जोड़ा है या उम्मीदवार के उत्तर पर कोई प्रतिप्रश्न किया है तो उम्मीदवार द्वारा उत्तर शुरू करते ही वे खुद इशारा कर देते हैं कि आप इन सदस्य को ही जवाब दें। ऐसा निर्देश मिलने पर उक्त स्थिति उम्मीदवार के लिये अधिक सहज हो जाती है।
दूसरा सिद्धांत यह है कि अगर एक सदस्य से बात करते हुए किसी दूसरे सदस्य ने टोका है तो टोकने वाले सदस्य की बात को उसी की ओर देखते हुए ध्यान से सुना जाना चाहिये। किंतु, उत्तर देते समय उम्मीदवार को पहले उसी सदस्य को संतुष्ट करना चाहिये जिसने प्रश्न की शुरुआत की थी क्योंकि ऐसा न होने पर उस सदस्य को अपना अपमान महसूस हो सकता है।
अगर टोकने वाले सदस्य का प्रश्न काफी लंबा हो या उसे देखकर ऐसा लगे कि वह उम्मीदवार से अपेक्षा कर रहा है कि वह उसे ही संबोधित करते हुए उत्तर दे तो उम्मीदवार को चाहिये कि उससे विनम्रतापूर्वक अनुमति मांगकर मूल प्रश्न पूछने वाले सदस्य की ओर मुखातिब हो जाए।
इंटरव्यू कक्ष से बाहर निकलना:
आमतौर पर, सभी सदस्यों द्वारा प्रश्न पूछे जाने के बाद बोर्ड अध्यक्ष पुनः 2-3 प्रश्न पूछते हैं और उसके बाद इंटरव्यू के समापन की घोषणा करते हैं।
चूँकि यह इंटरव्यू बोर्ड के साथ संवाद की अंतिम कड़ी है, इसलिये कोशिश करनी चाहिये कि इस बिंदु पर कोई चूक न हो।
ध्यान रखें कि इंटरव्यू के शुरुआती मिनटों में हुई गलतियाँ विशेष नुकसान नहीं करतीं क्योंकि मूल्यांकन के समय तक सदस्य उन्हें भूल चुके होते हैं, किंतु इंटरव्यू के अंत में होने वाली गलतियाँ अक्षम्य मानी जाती हैं क्योंकि ठीक उसी समय इंटरव्यू का मूल्यांकन किया जाता है और वे गलतियाँ सदस्यों को याद रहती हैं।
जैसे ही बोर्ड अध्यक्ष जाने के लिये कहें, वैसे ही उम्मीदवार को सभी सदस्यों को धन्यवाद कहना चाहिये।
सभी को अलग-अलग धन्यवाद कहना अत्यंत कृत्रिम होता है, इसलिये एक ही अभिव्यक्ति में सभी सदस्यों को धन्यवाद कहना चाहिये। इसके लिये “आप सभी का धन्यवाद सर” या “थैंक्स टू ऑल ऑफ यू सर” कहते हुए गर्दन विनम्रता के साथ थोड़ी बहुत झुका लें तो बेहतर होगा।
इसके बाद कुर्सी से उठकर उसे वापस उसी स्थिति में रख देना चाहिये जैसी वह उम्मीदवार को मिली थी।
इसके बाद की प्रक्रिया पर अलग-अलग विशेषज्ञों के अपने-अपने मत हैं। कुछ का मानना है कि इसके बाद उम्मीदवार को सीधे इंटरव्यू कक्ष से बाहर निकल जाना चाहिये जबकि कुछ के अनुसार उसे इंटरव्यू कक्ष से बाहर निकलते समय पुनः एक बार बोर्ड के सदस्यों का अभिवादन करना चाहिये।
इस बिंदु पर किये जाने वाले अभिवादन की भाषा “गुड डे सर” या “धन्यवाद सर” हो सकती है।
यह अभिवादन ठीक उस स्थान से किया जाना चाहिये जिसके बाद उम्मीदवार को बोर्ड के सदस्य दिखने बंद हो जाए।
कोशिश करनी चाहिये कि उम्मीदवार कुर्सी से उठकर इंटरव्यू कक्ष के दरवाज़े तक इस तरह चले कि बोर्ड सदस्यों को उसकी पीठ नज़र न आए।