जवान और आदिवासी मिलकर बुन रहे सुनहरे बस्तर की तस्वीर
छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित बस्तर में जवान और आदिवासी मिलकर सुनहरे भविष्य की तस्वीर बुन रहे हैं। आदिवासियों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और उनके दिलों में जगह बनाने के लिए जवान अनोखे काम कर रही है। इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फोर्स उन गांवों में पहुंची, जो कभी नक्सलियों के गढ़ माने जाते थे। जहां कभी नक्सली काले झंडे फहराते थे, वहां इस बार शान से तिरंगा लहराया। अबूझमाड़ में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन ने ऐसे कई स्कूलों को इसी वर्ष खुलवाया है, जहां जवान बच्चों को खुद भी पढ़ाते हैं। इस बार इन स्कूलों के बच्चों को लजीज खाना भी परोसा और जवानों ने उनके साथ फुटबाल भी खेला। वहीं, दंतेवाड़ा के पुसपाल में जवानों ने सड़क निर्माण को सुरक्षा देकर स्वतंत्रता दिवस मनाया। सीआरपीएफ आइजी संजय अरोरा कहते हैं कि आदिवासियों में जवानों के प्रति भरोसा जगाने के लिए सिविक एक्शन प्लान चलाया जाता है। इसी के तहत स्कूल और गांवों में जवानों ने स्वतंत्रता दिवस मनाया है। सीआरपीएफ ने स्वतंत्रता दिवस पर जवानों के अनोखे काम को अपने ट्विटर अकांउट पर भी पोस्ट किया है। इसमें बच्चों को खाना परोसती जवानों की तस्वीर भी शामिल है। 204 कोबरा बटालियन के जवान अपने कैंप के नजदीक के स्कूल पहुंचे। जवानों ने बताया कि यहां के बच्चे नक्सली आतंक से भयभीत हैं। सरकार और फोर्स को करीब से देखने के बाद इनमें नक्सलियों का भय कम हो जाएगा।