भारत में वायु प्रदूषण से हर साल 5 साल से कम उम्र के 1 लाख बच्चों की मौत: अध्ययन
भारत में वायु प्रदूषण से हर साल 5 साल से कम उम्र के 1 लाख बच्चों की मौत: अध्ययन
विश्व पर्यावरण दिवस पर जारी एक अध्ययन के मुताबिक वायु प्रदूषण एक राष्ट्रीय आपात स्थिति बन गई है. इस रिपोर्ट में जल, स्वास्थ्य, कचरा उत्पादन एवं निस्तारण, वनों एवं वन्यजीव को शामिल किया गया है.
JUN 6, 2019 10:09 IST
पर्यावरण थिंक टैंक सीएसई के ‘स्टेट ऑफ इंडियाज इन्वायरन्मेंट (एसओई)’ रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के चलते भारत में हर साल 5 वर्ष से कम उम्र के 1 लाख बच्चों की मौत हो रही है. यह देश में होने वाली 12.5 प्रतिशत मौतों के लिए भी जिम्मेदार है.
विश्व पर्यावरण दिवस पर जारी एक अध्ययन के मुताबिक वायु प्रदूषण एक राष्ट्रीय आपात स्थिति बन गई है. इस रिपोर्ट में जल, स्वास्थ्य, कचरा उत्पादन एवं निस्तारण, वनों एवं वन्यजीव को शामिल किया गया है.
रिपोर्ट से संबंधित मुख्य तथ्य:
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषित हवा के कारण भारत में करीब 10,000 बच्चों में से औसतन 8.5 बच्चे पांच साल का होने से पहले मर जाते हैं. यह खतरा बच्चियों में सबसे ज्यादा है क्योंकि 10,000 लड़कियों में से 9.6 पांच साल का होने से पहले मर जाती हैं.
भारत में वायु प्रदूषण होने वाली 12.5 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है. इसका प्रभाव बच्चों पर उतना ही चिंताजनक है. खराब हवा के चलते देश में करीब 1,00,000 बच्चों की पांच साल से कम उम्र में मौत हो रही है.
थिंक टैंक के अनुसार, वायु प्रदूषण से लड़ने की सरकार की योजनाएं अब तक सफल नहीं हुई हैं और इस तथ्य को पर्यावरण मंत्रालय ने भी स्वीकार किया है. इससे पहले वायु प्रदूषण पर वैश्विक रिपोर्ट में सामने आया था कि साल 2017 में इसके चलते भारत में 12 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी.
ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली पूरी दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी शहर है.
भारत ने साल 2013 में संकल्प लिया था कि गैर इलेक्ट्रिक वाहनों को हटा दिया जाएगा और साल 2020 तक 1.5 से 1.6 करोड़ हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का लक्ष्य रखा था.
हालांकि सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, ई-वाहनों की संख्या मई 2019 तक करीब 2.8 लाख थी जो तय लक्ष्य से काफी पीछे है.